(Photo credit: Wikipedia) |
सितारों में लीन हो चुके हैं स्याह सन्नाटे
ख़लाओं को हाथों में थामें
रोशनी को अपनी
ढलती चाँदनी की चादर पर बिखराता
शून्य की परछाईं में धड़कती है अब तक
जिंदा है
न जाने कब से —
न जाने कब तक |
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