Friday, April 6, 2018

कौन थी वह

कौन थी वह
जो एक बिन्दु-सी
सो रही थी पल-पल --  

मीठी-सी नींद को
आँखों में भरकर
कोख की आँच में
माँ की सर रखकर।


चाहती थी वह
इस नये संसार में
खुलकर भ्रमण करना
एक नये वजूद को
पहन कर तन पर
ज़िन्दगी की चोखट पर
पहला कदम रखना
और फिर
इन जुड़ते और टूटते पलों
से बनी रिश्तों की सीढ़ी पर
लम्हा-लम्हा चढ़ना।

क्या था यही
जन्म को अपने
सार्थक करना?


कौन थी वह
जो एक बिन्दु-सी
सो रही थी पल-पल  ......

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